26/06/2021

*|| भगवद् गीता विचार ||* हाथ से गांडीव धनुष गिर रहा है और त्वचा भी बहुत जल रही है तथा मेरा मन भ्रमित-सा हो रहा है, इसलिए मैं खड़ा रहने को भी समर्थ नहीं हूँ। *अध्याय- 1 श्लोक- 30* Download Bhagavad Gita App: https://ift.tt/3gVIs6J

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