07/06/2021

*|| भगवद् गीता विचार ||* परंन्तु अपने अधीन किए हुए अन्तःकरण वाला साधक अपने वश में की हुई, राग-द्वेष रहित इन्द्रियों द्वारा विषयों में विचरण करता हुआ अन्तःकरण की प्रसन्नता को प्राप्त होता है। *अध्याय- 2 श्लोक- 64* Download Bhagavad Gita App: https://ift.tt/3pwVEC2

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