*|| भगवद् गीता विचार ||* न जीते हुए मन और इन्द्रियों वाले पुरुष में निश्चयात्मिका बुद्धि नहीं होती और उस अयुक्त मनुष्य के अन्तःकरण में भावना भी नहीं होती तथा भावनाहीन मनुष्य को शान्ति नहीं मिलती और शान्तिरहित मनुष्य को सुख कैसे मिल सकता है? *अध्याय- 2 श्लोक- 66* Download Bhagavad Gita App: https://ift.tt/3zgBgcP
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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