*|| भगवद् गीता विचार ||* जैसे नाना नदियों के जल सब ओर से परिपूर्ण, अचल प्रतिष्ठा वाले समुद्र में उसको विचलित न करते हुए ही समा जाते हैं, वैसे ही सब भोग जिस स्थितप्रज्ञ पुरुष में किसी प्रकार का विकार उत्पन्न किए बिना ही समा जाते हैं, वही पुरुष परम शान्ति को प्राप्त होता है, भोगों को चाहने वाला नहीं। *अध्याय- 2 श्लोक- 70* Download Bhagavad Gita App: https://ift.tt/35gO84Y
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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