*|| भगवद् गीता विचार ||* और कछुवा सब ओर से अपने अंगों को जैसे समेट लेता है, वैसे ही जब यह पुरुष इन्द्रियों के विषयों से इन्द्रियों को सब प्रकार से हटा लेता है, तब उसकी बुद्धि स्थिर है (ऐसा समझना चाहिए)। *अध्याय- 2 श्लोक- 58* Download Bhagavad Gita App https://ift.tt/3c3LPWB
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