*|| भगवद् गीता विचार ||* श्री भगवान् बोले- हे अर्जुन! जिस काल में यह पुरुष मन में स्थित सम्पूर्ण कामनाओं को भलीभाँति त्याग देता है और आत्मा से आत्मा में ही संतुष्ट रहता है, उस काल में वह स्थितप्रज्ञ कहा जाता है। *अध्याय- 2 श्लोक- 55* Download Bhagavad Gita App https://ift.tt/3tQPPji
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