*|| भगवद् गीता विचार ||* दुःखों की प्राप्ति होने पर जिसके मन में उद्वेग नहीं होता, सुखों की प्राप्ति में सर्वथा निःस्पृह है तथा जिसके राग, भय और क्रोध नष्ट हो गए हैं, ऐसा मुनि स्थिरबुद्धि कहा जाता है। *अध्याय- 2 श्लोक- 56* Download Bhagavad Gita App https://ift.tt/3bIxaA1
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