01/05/2021

*|| भगवद् गीता विचार ||* हे अर्जुन! इस कर्मयोग में निश्चयात्मिका बुद्धि एक ही होती है, किन्तु अस्थिर विचार वाले विवेकहीन सकाम मनुष्यों की बुद्धियाँ निश्चय ही बहुत भेदों वाली और अनन्त होती हैं। *अध्याय- 2 श्लोक- 41* Download Bhagavad Gita App https://ift.tt/2SahlLk

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