*|| भगवद् गीता विचार ||* इस समत्वरूप बुद्धियोग से सकाम कर्म अत्यन्त ही निम्न श्रेणी का है। इसलिए हे धनंजय! तू समबुद्धि में ही रक्षा का उपाय ढूँढ अर्थात् बुद्धियोग का ही आश्रय ग्रहण कर क्योंकि फल के हेतु बनने वाले अत्यन्त दीन हैं। *अध्याय- 2 श्लोक- 49* Download Bhagavad Gita App https://ift.tt/3y1bDfd
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